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मध्यकालीन भारत का इतिहास | Most Important For All Competitive Exams

 ☑️मध्यकालीन भारत का इतिहास ✅दिल्ली सल्तनत ☑️1206 ई में मुहम्मद गोरी की मृत्यु के पश्चात् उसके संतानहीन होने के कारण उसके साम्राज्य को उसके तीन गुलामो ने आपस में बाँट लिया। इनमे यल्दौज को गजनी का राज्य क्षेत्र , कुंबांचा को सिंध और मुल्तान तथा कुतुबुद्दीन ऐबक को भारतीय राज्य क्षेत्रों पर अधिकार मिला। गोरी के विश्वस्त गुलाम ऐबक ने तराईन के युद्ध के पश्चात भारत में राज्य विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कुतुबुद्दीन ऐबक जिस वंश की नीव रखी, उसे मामलुक या गुलाम वंश कहते है, क्योकि वह मुहम्मद गोरी द्वारा ख़रीदा हुआ गुलाम था। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ ☑️मामलुक वंश या गुलाम वंश ✅मुहम्मद गोरी के मृत्यु के पश्चात तुर्को द्वारा भारत के विजित क्षेत्रों पर तुर्की शासन की स्थापना हुई और इस क्षेत्र का प्रथम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक बना। 1206 ई० से 1290 ई० के मध्य इस वंश में अनेक शासक हुए जिनमे प्रमुख शासक कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश, रजिया सुल्तान और बलबन थे जिन्होंने तुर्क सत्ता को सुदुरुनीकर्ता किया । ☑️मामलुक वंश के शासकों का क्रम निम्न है:– ✅कुतुब-उद-दीन ऐबक (1206-1210) ✅आरामशाह (1210-